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नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट -नाबार्ड

आंध्र प्रदेश ने पंजाब को इस मामले में पीछे छोड़ प्रथम स्थान हासिल किया।

आंध्र प्रदेश ने पंजाब को इस मामले में पीछे छोड़ प्रथम स्थान हासिल किया।

आंध्र प्रदेश आज कृषि के क्षेत्र में अच्छे राज्य की भूमिका अदा कर रहा है। यहां के किसानों को खेती के लिए कर्ज देने में आंध्र प्रदेश सरकार प्रथम स्थान पर आ गयी है। हालाँकि आजकल हर राज्य सरकार अपने अपने राज्यों के किसानों के लिए भांति भाँति की योजनाएं ला रही हैं, जिससे उनके राज्यों के किसान अच्छा मुनाफा और पैदावार हासिल कर सकें। साथ ही कृषि जगत से जड़ी नवीनतम तकनीकों को अपना कर एक आय का बेहतर स्त्रोत बना सकें। आंध्र प्रदेश सरकार राज्य के किसानों की बेहतरी के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। बतादें कि आंध्र प्रदेश के किसानों को आज पहले से अधिक खेती करने के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है। नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (नाबार्ड; NABARD) के दस साल के एक शोध से पता चला है। नाबार्ड के शोध में बताया गया है कि भारत में आंध्र प्रदेश किसानों को खेती के लिए कर्ज देने में प्रथम स्थान पर है। अध्ययन के अनुसार १० वर्षों से ज्यादा वक्त तक सर्वोच्च स्थान पर अड़िग पंजाब द्वितीय फिसलकर दूसरे नंबर पर आ गया है। नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट ने 2011-12 और 2021-22 के मध्य कृषि उद्योग हेतु कर्ज संवितरण के आंकड़ों की जांच पूर्ण की है।

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बैंकों से ऋण की उच्च दर प्राप्त हो सकती है

शोधानुसार, आंध्र प्रदेश सरकार ने किसानों को आर्थिक सहायता देने के लिए विभिन्न योजनाओं के जरिये प्रयास किये हैं। सरकार का यह प्रयास काफी सफल भी रहा है। इसी वजह से आंध्र प्रदेश के किसानों को पंजाब की अपेक्षा में 1 लाख प्रति हेक्टेयर की तुलना में लगभग 129 लाख प्रति हेक्टेयर भूमि मिली है। शोधकर्ताओं ने बताया है कि आंध्र प्रदेश में किसानों को तंबाकू, कपास, हल्दी और मिर्च सहित नकदी-समृद्ध वाणिज्यिक फसलों की अच्छी खेती के अनुरूप बैंकों से कर्ज लिया जाता है। मीडिया के अनुसार, पूर्व वर्ष में सर्वाधिक कर्ज भारत के दक्षिणी भाग से था। बतादें कि २०११ में केरल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश सहित कर्नाटक राज्य का प्रति एक किसान परिवार बकाया कर्ज की सर्वाधिक औसत राशि वाले परिवार थे। जिसमें हर एक किसान परिवार कर्ज का कुल ७४,१२१ , आंध्र प्रदेश और केरल में क्रमशः 2.45 लाख रुपये और 2.42 लाख रुपये हैं।
जल्द ही इस राज्य के 3.17 लाख किसानों को मिलेगा बिना ब्याज का फसल ऋण

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केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारें भी किसानों की आय बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके लिए लगभग सभी राज्य सरकारें अपने स्तर पर प्रयास भी कर रही हैं। जिसके अंतर्गत सरकारें किसानों को खाद बीज से लेकर सौर कृषि सिंचाई पंप तक उपलब्ध करवा रही हैं, ताकि किसान अपनी उत्पादकता को तेजी से बढ़ा सकें। खेती करने के लिए किसानों को सरकारें ऋण भी उपलब्ध करवाती हैं, ताकि किसानों को धन की कमी न पड़े। कई बार तो किसानों की ब्याज भी सरकारें खुद ही वहन करती हैं, ताकि किसानों के ऊपर अतिरिक्त बोझ न पड़े।


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इस कड़ी में राजस्थान सरकार भी अपने किसानों का खास ख्याल रखते हुए उन्हें धन उपलब्ध करवा रही है। ताकि किसानों को पैसों की तंगी का सामना न करना पड़े। राजस्थान की कैबिनेट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए कहा है, कि राज्य सरकार राजस्थान के किसानों को लोन देने की योजना में 3.17 लाख अतिरिक्त किसानों को शामिल करने जा रही है। जिसमें किसानों को बिना ब्याज के लोन बांटा जाएगा, साथ ही यह काम मार्च 2023 के पहले पूर्ण कर लिया जाएगा। इसके पहले किसानों को लोन देने की योजना के अंतर्गत इस साल नवम्बर माह तक सरकार ने 26.92 लाख किसानों को लोन बांटा है। इस योजना के अंतर्गत सरकार ने किसानों को अब तक 12 हजार 811 करोड़ रुपये का लोन दिया है। राजस्थान सरकार ने इस योजना में इस साल 1.29 लाख नए किसानों को जोड़ा है। अब इस योजना को आगे बढ़ाते हुए राज्य सरकार सभी किसानों को सहकारी समितियों के साथ जोड़ रही है। जो किसानों को बेहद आसानी से लोन उपलब्ध करवाती हैं।


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किसानों को लोन उपलब्ध करवाने की जानकारी सहकारिता विभाग के अधिकायों ने एक बैठक में दी। यह बैठक जयपुर स्थित अपेक्स बैंक के हॉल में पूर्ण हुई। इस अवसर पर अधिकारियों ने बताया कि राज्य सरकार किसानों को बिना ब्याज का ऋण उपलब्ध करवाने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिए राज्य सरकार नेशनल बैंक फॉर रूरल एंड एग्रीकल्चर डेवलपमेंट (नाबार्ड) की योजनाओं का उपयोग करेगी। अपेक्स बैंक के हॉल में हुई मीटिंग में अधिकारियों ने बताया कि सरकार लगातार किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए प्रयत्न कर रही है। इसको ध्यान में रखते हुए किसानों को एग्री बिजनेस के मॉडल से जोड़ने के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं। अगर केंद्र सरकार की बात करें तो केंद्र सरकार ने खेती बाड़ी को बढ़ावा देने के लिए एग्री क्लिनिक-एग्री बिजनेस सेंटर योजना की भी शुरुआत की है। इन योजनाओं का लाभ उठाकर किसान भाई कृषि का धंधा या कृषि स्टार्टअप की शुरुआत कर सकते हैं, जिससे किसानों को अपनी आमदनी बढ़ाने में मदद मिल सकती है।


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इसके साथ ही बैठक के दौरान बताया गया कि एग्री क्लिनिक-एग्री बिजनेस सेंटर योजना के अंतर्गत सरकार किसान को 45 दिनों का प्रशिक्षण देती है। यह प्रशिक्षण सरकार की तरफ से कृषि लोन या आर्थिक सहायता मिलने से पहले ही दिया जाता है। जिससे किसान को कई तरह के फायदे होते हैं ओर वह अपने बिजनेस को तेजी से आगे बढ़ा सकता है। पहले जहां किसानों को सहकारी समितियों से सीमित मात्रा में ही लोन मिलता था और उसके लिए किसानों को बहुत सारी परेशानियां झेलनी पड़ती थी। लेकिन अब स्थिति परिवर्तित हो रही है। अगर वर्तमान की बात करें तो अब एग्री बिजनेस यानी कृषि से जुड़ा कोई भी व्यवसाय करने के लिए नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (नाबार्ड) बहुत आसानी से लोन उपलब्ध करवाता है। यह लोन 20-25 लाख रुपये तक हो सकता है, जिसके लिए किसानों को किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना नहीं करना होता है।


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अगर किसानों को आर्थिक तौर पर सशक्त करने की बात करें, तो केंद्र सरकार ने कई योजनाएं चलाई हैं। जिन योजनाओं के माध्यम से किसानों को सब्सिडी उपलब्ध कारवाई जा रही है ताकि किसानों के ऊपर अतिरिक्त बोझ न पड़ने पाए। यह सब्सिडी ऋण पर लगने वाले ब्याज पर दी जाती है, जो 36 प्रतिशत से 44 प्रतिशत तक हो सकती है। इस सब्सिडी योजना में समान्य वर्ग के किसान को ब्याज पर 36 प्रतिशत की सब्सिडी दी जाती है जबकि एससी-एसटी और महिला आवेदकों को ब्याज पर 44 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान की जाती है। केंद्र सरकार की योजना के अनुसार यदि 5 या 5 से अधिक किसान ऋण लेने के लिए एक साथ आवेदन करते हैं, तो उन्हें 1 करोड़ रुपये तक का ऋण दिया जा सकता है, साथ ही केंद्र सरकार किसानों को प्रशिक्षण भी दिलवाती है।